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*महाकाल मंदिर में ई-कार्ट चालक ने कराए बोरिंग:पानी की किल्लत को देखते हुए स्वंय के खर्च से दो बोरिंग कराए*

श्रद्धालुओं की परेशानी देख मंदिर में ही ई कार्ट चलने वाले चालक ने अपने खर्चे से मंदिर के लिए दो बोरिंग करवा दिए।

*महाकाल मंदिर में ई-कार्ट चालक ने कराए बोरिंग:पानी की किल्लत को देखते हुए स्वंय के खर्च से दो बोरिंग कराए*

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में दिनों-दिन श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में मंदिर में पेयजल की समस्या भी सामने आ रही है। श्रद्धालुओं की परेशानी देख मंदिर में ही ई कार्ट चलने वाले चालक ने अपने खर्चे से मंदिर के लिए दो बोरिंग करवा दिए। दोनो बोरिंग में भरपूर पानी निकला है। चालक के सेवा कार्य देखते हुए मंदिर समिति ने सम्मान किया।

श्री महाकालेश्वर मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की प्यास बुझाने के लिए मंदिर में बनी टंकी के भरोसे रहना पड़ता है। वर्तमान में गंभीर बांध में कम पानी होने से शहर में पीएचई से पानी की सप्लाय कम हो रही है। जिसके कारण मंदिर समिति को भी पेयजल के लिए अन्य साधनों पर निर्भर रहना पड़ता है। आने वाले श्रद्धालुओं की पेयजल की परेशानी को देखते हुए मंदिर के ई कार्ट चालक संजय आंजना ने ही आगे बढ़कर अपने खर्च से महाकाल लोक और मंदिर परिसर में बोरिंग करा दिया। दोनो बोरिंग में मोटर भी लग चुकी है। अब भरपूर पानी मिल रहा है। आंजना ने बताया कि पुस्तैनी जमीन बेचने से प्राप्त राशि से मंदिर के लिए दान करने की इच्छा जागी तो पीने का पानी उपलब्ध कराने से बड़ा धर्म कोई नही है।

करीब पांच महिने पहले महाकाल लोक में बोरिंग कराया था। इसके बाद मंदिर परिसर में यज्ञशाला के पास बोरिंग कराने के बाद गंगा दशमी पर मोटर भी लगा दी। बोरिंग से भरपूर पानी आया है। दोनो बोरिंग कराने और मोटर लगाने में खर्च कर करीब एक लाख से अधिक हुआ है। मंदिर समिति के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया कि ई कार्ट चालक आंजना ने जमीन बेचने के बाद दान की इच्छा जाहिर की थी। मंदिर में पानी की समस्या को देखते हुए बोरिंग कराने की प्रेरणा दी थी। दोनो बोरिंग से बहुत अच्छा पानी आ रहा है। बोरिंग लगने के बाद अब मंदिर में पानी की समस्या का हल हो सकेगा। मंदिर समिति द्वारा दानदाता के रूप में संजय आंजना को भगवान महाकाल का दुपट्टा, तस्वीर और प्रसाद भेंट कर जल दूत के रूप में सम्मान किया गया। गौरतलब है कि महाकाल मंदिर की जल व्यवस्था पीएचई पर आधारित है। कई बार कम दबाव से जल प्रदाय होने खास कर गर्मी के मौसम के दौरान मंदिर में जल संकट उत्पन्न हो जाता है। बोरिंग की व्यवस्था होने से श्रद्धालुओं को सुविधा से पेयजल उपलब्ध होगा।

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